स्वामी जी की डायरी के पन्ने :: सतसंगी के कर्तव्य हर सतसंगी को हिदायत है कि वह अपने सतसंगी भाइयों के साथ सच्चा और निःस्वार्थ बरताव रक्खे और अपने आपको जांचता चले कि मेरे में कोई अवगुण प्रवेश तो नहीं हो रहे हैं। सच्चाई का रास्ता सतसंगी के लिए सुलभ होगा, साधन के वक्त साधक […]
View Postगुरु की महिमा हर सतसंगी को हिदायत है कि वह अपने सतसंगी भाइयों के साथ सच्चा और निःस्वार्थ बरताव रक्खे और अपने आपको जांचता चले कि मेरे में कोई अवगुण प्रवेश तो नहीं हो रहे हैं। गुरु में एक चैतन्य शक्ति अग्नि के समान होती है। गुरु की आंखों से चैतन्यता की धारें निकलती रहती […]
View Postआशिक की पहिचान १. गुरु के चरणो का कौन आशिक होगा ? जिसमें यह बातें पाई जावें। एक तो जिसमें मान नहीं है। दूसरा निर्लोभी है। गुरु और संगत में अपना तन लगाता हो। चौथा जिसमें क्रोध न हो। पांचवा सन्तों साधुओं की जिसके चित्त में कदर हो और इनका आदर करता हो। छंठवा जिसमें […]
View Postएक ग्राम में एक ब्राह्मण दम्पति रहते थे | उन्हें कोई सन्तान न थी | दोनों प्राणी साधू महात्माओं की खूब सेवा करते थे | उनका खर्च भिक्षाटन से ही चलता था | ग्राम में कोई भी अतिथि आता था वह इन्हीं ब्राह्मण के यहां ठहरता था | अतिथि सेवा के लिये दोनों प्राणी प्रसिद्ध […]
View Postगुरु की दया का महत्व बहुत पहले की बात है | हमारे स्वामी जी (परम पूज्य दादा गुरु जी महाराज) के पास एक आदमी आया और कहने लगा कि महाराज मेरे बाल बच्चे भूखों मर रहे है | कई बार मैंने सट्टा खेला लेकिन कोई दांव नहीं लगा | अब आप दया कर दीजिये | स्वामीजी महाराज […]
View Postअंतर्यामी लख गया माँ एक दिन चौके में खीर बना रही थी. उसका बच्चा कहीं खेलते खेलते गिर पड़ा और बड़ी जोर से चीख कर रोया. तो माँ खीर को छोड़कर भागी और बच्चे को उठा लिया तब तक खीर मैं उबाल आ गया. वह सारी खीर जमीन पर गिर गई. माँ ने बच्चे को […]
View Postछोटी कहानी की बड़ी सीख :: सत्संग की महिमा एक बार का जिक्र है। एक बहुत बड़ा चोर था। जब वो मरने लगा तो अपने बेटे को बुलाकर नसीहत दी, कि अगर तुझे चोरी करना है तो किसी महात्मा के सत्संग में गुरुद्वारा, धर्मशाला या धर्म स्थल पर मत जाना कभी, इनसे दूर ही रहना और […]
View Postछोटी कहानी की बड़ी सीख :: दुश्मनी का राज एक राजा के राज्य में बहुत बड़ा सेठ रहता था। उसके पास अपार धन था। एक समय राजा ने सेठ को बुलवाया। राजा सेठ से मिलकर बहुत खुश हुआ और वह बोला कि तुम मेरे महल में आया करो। अब सेठ बराबर राजा के पास जाने […]
View Postआध्यात्मिक कहानी :: सबसे ऊंची प्रार्थना एक व्यक्ति जो मृत्यु के करीब था, मृत्यु के पहले अपने बेटे को चांदी के सिक्कों से भरा थैला देता है और बताता है कि जब भी इस थैले से चांदी के सिक्के खत्म हो जायं तो मैं तुम्हें एक प्रार्थना बताता हूं, उसे दोहराने से चांदी के सिक्के […]
View Postसत्संग बड़ा है या तप एक बार वशिष्ठ जी और विश्वामित्र जी में बहस छिड़ गयी की सत्संग की महिमा बड़ी है या तप की महिमा| वशिष्ठ जी का कहना था सत्संग की महिमा बड़ी है, तथा विश्वामित्र जी का कहना था कि तप का महात्म बड़ा है| जब फैसला न हो सका तो दोनों […]
View Postबंदरो की किस्मत – एक प्रेमी का संस्मरण एक बार स्वामी जी महाराज बबराला गये जो जिला बँदायू मेँ पङता है । उन दिनोँ आर. बी. लाल साहब कस्टम एंड सेँट्रल एक्साइज मेँ इंसपेक्टर थे । उनके मकान पर स्वामी जी रुके थे । दोपहर मेँ स्वामी जी के साथ मैँ छत पर बैठा था […]
View Postपरिवर्तन का समय निश्चित है परिवर्तन का समय निश्चित है और उसी का इन्तजार हो रहा है। अपील के स्वर में बाबा जी ने कहा कि लोग शाकाहारी हो जांय तो अच्छा है वर्ना अशुद्ध आहार के दुष्परिणाम भोगने पड़ेंगे। दोनों भवों के पीछे जीवात्मा का घाट है वहां आ जाओ तो वहां सुख मिलेगा, […]
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