आरती जयगुरुदेव अनामी, कीन्ही कृपा दरश दियो स्वामी।। चित वत पंथ रहूं दिन राति, तुमहि देख शीतल भई छाती। हे प्रभु समरथ अन्तर यामी– आरती जयगुरुदेव अनामी।। मैं मूरख क्रोधी खल कामी, लोभी निपट मोह पथ गामी। तेरी सेवा भक्ति न जानी।– आरती जयगुरुदेव अनामी।। दया धर्म चित्त नही समाये, शील क्षमा सन्तोष न आये। […]
View Postआरती करूँ गुरुदेव की जिन भेद बतायो, चरण कमल की छाय मे जिन सुरत बिठायो ।।१।। जनम जन्म के पाप को जिन दूर हटायो, मो सम पतित पुनीत कर निज ह्रदय लगायो ।।२।। दीन दयालु दया करी दियो शब्द जहाजा, सुरत चढ़ी आकाश मे धरी अनहद नादा ।।३।। सुरत चली निजलोक को मन परम् हुलासा, […]
View Postआरती करहुँ सन्त सतगुरु की, सतगुरु सतनाम दिनकर की। काम क्रोध मद लोभ नशावन, मोह ग्रसित कह सुर सरी पावन। कटहिं पाप कलि मल की, आरती करहुँ सन्त सतगुरु की।। तुम पारस संगति पारस तव, कलिमल ग्रसित लौह प्राणी भव । कंचन करहिं सुधर की, आरती करहुं सन्त सतगुरु की।। भूलेहुं जे उन संगति आवे, […]
View Postहमारे प्यारे पाहुना जयगुरुदेव आये। द्वार द्वार पर चौक पुराये, मंगल कलश धराये।। लखी लखी शोभा भवन नगर, इन्द्रादिक देव लजाये। भरी भरी थार पुष्प माला से, आरति दीप सजाये।। चन्दन पलंग जड़ित मन मानिक, रेशम डोर लगाये। श्रेत कमल का सुखद बिछावन जयगुरुदेव बिठाये।। होने लगी आरती गुरू संग मन बुध्दि चित थिर पाये। […]
View Postहे सतगुरु स्वामी, मेरे तुम सतगुरु स्वामी। शरण तुम्हारी हूँ मैं, मूरख खल कामी।। तुम हो बड़े दयालु, तुम हो उपकारी। तुम हो अन्तर्यामी, शक्ति अवतारी।। अंधकार में अब तक, मैं था अज्ञानी। तुमने मुझे उबारा, महिमा अति जानी।। शब्द ज्ञान बतलाया, जिससे सुरत जगे। घट में देख उजाला, आगे चलन लगे।। रक्षा कर भक्तों […]
View Postजयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। मेरे मात पिता गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। सब देवन के देव गुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। तिनके चरण कमल मन सेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। जीव काज जग आये गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। अपना भेद बताये गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। सत्य स्वरूपी रूप गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। अलख अरूपी रूप गुरुदेव, जयगुरुदेव […]
View Postजयगुरुदेव आरती लाई। सतगुरु के सत्संग गंग में प्रथमई जाय नहाई। चीर पुरान त्यागि कर्मन की श्वेत चुनर पहिराई। मैली चुनर त्याग कर्मन की लखि निज मनहिं लजाई। जयगुरुदेव चुनर जिन धोयो उनको देत बधाई। ज्योति निरंजन सहस कमल दल, शोभा पड़ी दिखाई। आगे दर्शन करति ब्रह्मपद, गुरु पद पदुम जगाई। पार ब्रह्म और महासुन्न […]
View Postकरूँ वीनती दोऊ कर जोरी, अर्ज सुनो राधा स्वामी मोरी ।।१।। सतपुरुष तुम सतगुरु दाता, सब जीवन के पितु और माता ।।२।। दया धार अपना कर लीजै, काल जाल से न्यारा कीजै ।।३।। सतयुग, त्रेता, द्वापुर बीता, काहू ना जानी शब्द की रीता ।।४।। कलयुग मे स्वामी दया बिचारी, परगट करके शब्द पुकारी ।।५।। जीव […]
View Postतुम न आये गुरुजी, सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली सजी रह गई।। भोग रक्खा रहा, फूल मुरझा गए। आरती थी जली की जली रह गई।। क्या बुलाने में कोई कमी रह गई। तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।। हमसे रूठे हो क्यों, आप आते नहीं। कोई अपराध मेरा, बताते नहीं।। टेरते-टेरते सांस […]
View Postविनय करूं मैं दोऊ कर जोरे, सतगुरू द्वार तुम्हारे। बिन घृत दीप आरती साजूं, दोउ अंखियन मझधारे।। भाव सहित नित बैठी झरोखे, जोहत प्रियतम प्यारे। पग ध्वनि सुनुं श्रवण हिय अपने, मन के काज बिसारे।। जागी सुरत पियत चरनामृत,पियत पियत हुई न्यारे। घंटा, शंख, मृदंग, सारंगी, बंशी बीन सुना रे।। जयगुरूदेव आरती करती, गावत जय […]
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