गुरु भवसागर तर जाऊं कि नैया मेरी पार करो|| मेरे बस में है मन नहीं आता, तेरी भक्ति में विघ्न मचाता। ऐसा कर दो जतन जिससे हो न पतन, मैं सो न जाऊं। नैया मेरी पार करो|| जब मैं बैठूं भजन ध्यान करने लगती बहुत गुनावन उठने। अन्तर कर दो सफाई आँख कान खुल जाई। […]
View Postसतगुरु जयगुरुदेव: सतगुरु सत्संग जो, सुनि मनि धारा। अलख अगम का भेद बिचारा। सत-सत संतो सतगुरु नामी। संत अनाम नाम सतनामी। महिमा मौज विचार शब्द उचारा। तीन धाम का कियों पसारा। अगम, अलख, सतनाम बनायो। मौज अनाम की ऐसी आयो। शब्द शिखर एक लड़ी निकारी। झंझरी दीप महिमा रच डारी। ता पर पुरुष निरंजन आए। […]
View Postसतगुरु जयगुरुदेव: हार गई मैं चलते-चलते, विरह कि मार्ग अति दुखदाई एक पग-एक पग ढुलते-मूलते, ओर न छोर है इसका मिलते क्षाँव नहीं कही धूप कड़क है, पतक्षड-पतक्षड सुखी हैं डालियाँ पंक्षी है सुना वीरान गलियां, कैसे चलूँ अब प्यासी हैं अंखियाँ काल सुनो हे कलिकाल हे भाई, एक अरज अब तुमसे आई ऐसा कोई […]
View Postगुरु जीवन की ये नैया किनारे से लगा देना, मुझे संसार सागर की तरंगों से बचा लेना || यहाँ मद लोभ कामादिक मगर मुँह खोल बैठे हैं, कृपा कर इनके पंजों से गुरु मुझको बचा लेना || चली अज्ञान की आंधी नही कुछ सूझता मुझको, भटकता हूँ अंधेरे में परम् ज्योति दिखा देना || यहां […]
View Postगुरु का सहारा मिला गर ना होता, तो गफलत में सब उम्र यूं ही में खोता।। तबाही हुई खूब होती हमारी, क्या सत क्या असत्य जान पाया ना होता ।। हुई फिक्र होती ना प्रभु के मिलन की, चला जाता दुनिया से यूं सोता सोता ।। ना पानी में पाता ना पत्थर में पाता, जो […]
View Postगुरुदेव दया इतनी कर दो, हम को भी तुम्हारा प्यार मिले। कुछ और भले ही मिले न मिले, गुरु दर्शन का अधिकार मिले।। इस जीवन में जीना मुश्किल, यह जीवन भी क्या जीवन है। जीवन तब जीवन बनता है, जब जीवन का आधार मिले।। इस मारग पर चलते चलते, सदियां ही नही युग बीत गए। […]
View Postगुरु मिले अगम के वासी । सतगुरु मिले अगम के वासी। स्वामी मिले अगम के वासी ।। जन्म जन्म के भरम मिटाए, छूट गई जम फांसी । सतगुरु मिले अगम के वासी।। कर सत्संग सार रस पाया, काट दई चौरासी। सतगुरु मिले अगम के वासी।। दया करी सुरत चढ़ी गगन पर, पाया पद अविनाशी । […]
View Postगुरु मोहि अपना रूप दिखाओ..२ यह तो रूप धरा तुम सर्गुण, जीव उबार कराओ। रूप तुम्हारा अगम अपारा, सोई अब दरसाओ। देखूं रूप मगन होय बैठूं, अभय दान दिलवाओ। यह भी रूप पियारा मोको, इसही से उसको समझाओ। बिन इस रूप काज नही होई, क्यों कर वाही लखाओ। ताते महिमा भारी इसकी, पर वह भी […]
View Postअब सौप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों मे । हे जीत तुम्हारे हाथों मे और हार तुम्हारे हाथों मे ।।१।। मेरा निश्चय बस एक यही एक बार तुम्हे पा जाऊँ मे । अर्पण कर दूँ दुनिया भर का सब प्यार तुम्हारे हाथों मे ।।२।। यदि जग मे रहूँ तो ऐसे रहूँ ज्यों […]
View Postअब अपना बना लो हमे सतगुरु प्यारे रहूँ जिससे निर्भय सहारे तुम्हारे ।।१।। जगत मे हैं समरथ न कोई दिखाता बताओ तुम्ही किसके जाऊँ द्वारे ।।२।। माना कि सिर मेरे पापों की गठरी मगर कौन बिन तेरे स्वामी उतारे ।।३।। युगों से यह नैया भवर मे पड़ी है दया करके अब तोलगा दो किनारे ।।४।। […]
View Postअनामी तुमको जयगुरुदेव कह कर के बुलाऊँ मै नही आधार कोई ध्यान फिर कैसे लगाऊ मैं।।१।। जगह भी है नही मालूम जहाँ पर आप मिलते हैं, तेरे सतधाम का कैसे पता भगवान पाऊँ मैं।।२।। बहुत दौड़ा बहुत ढूंडा जवानी धन किया ख्वारी, मिले गुरुदेव बोले राह वह तुमको बताऊ मैं।।३।। अगम की धार पाया प्रेम […]
View Postअगर तेरा मिलता सहारा नहीँ है , तो दुनियां में कोई हमारा नहीँ है।। अगर मुझको अबकी न अपना सकोगे, तो फिर बन्दा तेरा तुम्हारा नहीँ है।। कठिन काल निज पास में बांध लेगा, तो कहना नहीँ कि गोहारा नहीँ है।। बड़े भाग से अब की नर तन मिला है, उसे मोह के बस सुधारा […]
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