ऐ “सुख” तू कहाँ मिलता है क्या तेरा कोई पक्का पता है‼ क्यों बन बैठा है अन्जाना आखिर क्या है तेरा ठिकाना।‼ कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको पर तू न कहीं मिला मुझको‼ ढूंढा ऊँचे मकानों में‼ बड़ी बड़ी दुकानों में‼ स्वादिष्ट पकवानों में‼ चोटी के धनवानों में‼ वो भी तुझको ही ढूंढ रहे थे‼ बल्कि […]
View Post???? जयगुरूदेव नाम प्रभु का ???? छोड़ कर संसार जब तू जाएगा । कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा । गर प्रभु का भजन किया ना, सत्संग किया ना दो घड़िया। यमदूत लगाकर तुझको, ले जाएंगे हथकड़ियां। करो ना छुड़वाएगा, कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा। छोड़ कर संसार जब तू जाएगा कोई ना साथी […]
View Post(वक्त के सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) गुरु रूप न समझे कोय, भरम में पड़े अज्ञानी । गुरु को मानुष जानकर, भक्ति का करें ब्यौहार। सो प्रानी अति मूढ़ हैं, कैसे जायें भव पार। गुरु रूप न समझे कोय, देह के बने अभिमानी । गुरु रूप न समझे कोय, भरम में पड़े अज्ञानी । […]
View Postफागुन के दिन चार, होली खेल मना रे| बिन करताल पखावज बाजे, अनहद की झनकार होली खेल मना रे||१|| बिन सुर राग छत्तीसों गावे, रोम-रोम रंग सार | होली खेल मना रे||२|| शील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीत पिचकार | होली खेल मना रे||३|| उड़त गुलाल लाल भये बादल, बरसत रंग अपार | होली […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मन तू भजो गुरु का नाम दया मेहर से नर तन पायो, मत करना अभिमान, मन तू भजो गुरु का नाम, एक दिन खली पड़ा रहेगा,जाई बसे शमशान, मन तू भजो गुरु का नाम, जो धन तुझको दिया गुरु ने, उससे कर कुछ काम, मन तू भजो गुरु का […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ, मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ, मैंने कानो की जोड़ी बराबर दई , सत्संग सुनने न जाना तो मैं क्या करूँ, मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार || गुरु कृपा से कितने तर गए, हो गए भव से पार | गुरु महिमा है अपार जगत में, गुरु महिमा है अपार || पत्थर में भी प्राण तुगाते, जड़ को भी चेतन वंत बनाते प्रेम दया भण्डार, जगत […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मेरे प्यारे गुरु दातार मंगता द्वारे खङा । मैँ रहा पुकार-पुकार मेहर कर देखो जरा । मोहि दीजे भक्ति दान,काल दुःख बहुत दिया । मेरे तङप उठी हिय मांहि,दरस को तरस रहा । बरसाओ घटा अपार,प्रेम रंग दीजे वहा । सुरत भीजै अमी रस धार,तन मन होवे हरा । […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ ! आपके शरण मेँ मेरे भाग्य खिल गये हैँ !! दर-दर को भटक रहे थे मिलता कहाँ सहारा, मझदार मे थे अटके बङी दूर था किनारा, सुनसान था इलाका जब कुछ नजर ना आई, जो तेरे दर पे आये तो […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली! हम पर कृपा तू रखना,कहीँ रह ना जाऊँ खाली!! अपने शरण मेँ लाकर तूने कृपा जो की है! बङे भाग्य थे हमारे जो यह दौलत हमको दी है!! कभी भूल न पाऊ तुमको यह अर्ज है हमारी..! हम पर कृपा […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) हमेँ फूल बना लो तुम, मालिक अपने गुलशन का ! भटका हुआ प्राणी हूँ, न जाने कितने जन्म का !! जगत लगता है विराना, काल काटने को दौङे ! मुझसे बोझ नहीँ ढूलता, मेरे पीछले करम का !! भक्ति प्रेम विरह का बरसात कर दो मालिक ! मिटा दो […]
View Post(सतगुरु बाबा जय गुरुदेव जी महाराज) मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता। जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता। क्या साधू क्या रंक गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी। प्रभू की पुस्तक में लिक्खी है, सबकी कर्म कहानी।। अन्तर्यामी अन्दर बैठा, सबका हिसाब लगाता।। मेरे दाता के दरबार में है, […]
View Post