परम पुरुष पुराण धनी।। सतगुरु दिन दयाल।। नतमस्तक हो अर्ज करू।। सुनहु नाथ कृपाल।। दिन हिन अज्ञान अधम।। मोह बस्य मैं हुजूर।। सदा राखिये चरण में।। कर के माफ कसूर।। जग दयाल नही आपसो।। मो सो न पापी कोय।। तो भी नाथ अपना लियो।। कर बड़ भागी मोय।। सब पायो गुरू आप से।। चाह नही […]
View Postऔर ना कोई तीन लोक में बिना तुम्हारे हमारा। अब मेरे अच्छे बुरे का सारा भार तुम्हारा।। कितना भी लो इम्तिहान गुरु जो मर्जी में आये। पर पहले ही अर्जी हैं मुझसे उत्तीर्ण हुआँ ना जाये।। मन क्रम बचन शुद्ध नही मेरे तामस देह हमारी। काम ना छुटे नाम ना उपजे मन चित बुद्धि बिगरी।। […]
View Postएक बार तो आजाओ तुम परदे से निकल के। दिल दे रहा आवाज मेरा तुमको मचल के।। ये लोग तुम्हें आम समझते रहे इंसान। तुम कौन हो और क्या हो इन्हें हैं नही पहिचान।। क्या काम तुम्हारा इन्हे खाबो में नही ज्ञान। बुद्धि लगाके अपनी हुये जा रहे हैरान।। खुद की नही पहिचान तुम्हे कैसे […]
View Postमुझे भूख हो भजन की दर्शन की प्यास हाये दर्शन की प्यास हाये। तू दिल मे मेरे फिर भी तेरी तलाश हाये, तेरी तलाश हाये।। दुनियां की भूख ऐसी मिटती नही मिटाए। इस भूख ने यहाँ पर जीवन हैं कितने खाये। कितने जतन करू मैं बस में मेरे ना आये, बस में मेरे न आये।। […]
View Postमैं तो आकर उलझ गईं पराये ही देश। यहां दुःख ही हैं दुःख ना हैं सुख का अवशेष।। तुमने आकर के मुझको संभाला गुरु। शुक्रिया मैं तुम्हारा अता क्या करूँ। तुम ना होते यहाँ तो मैं जाती कहां। बिन तुम्हारे गुरू कौन हैं खैर ख्वा।। कैसे जावोगे तुम छोड़ के अब मुझे। ऐसी बातों पे […]
View Postजहाँ जहाँ भी चरण तुम्हारे झुके वहाँ पर ये मेरा सर है। जहाँ ना तेरे कदम पड़े हो ना जाऊ वो स्वर्ग भी अगर है।। मेरा तो सब कुछ तुम्ही हो गुरुवर। ना दाता कोई दाता हैं तुमसे बढ़कर। तुम्ही से हर आरजू हैं मेरी। तुम्हारे चरणों मे मेरा घर हैं।। कभी ना कम हो […]
View Postकहते हैं भगति तो भाग चली जाई। इसका मिलना कठिन हैं भाई।। प्रेम प्रेम हर कोई कहे प्रेम ना चिन्हें कोय। अष्ट पहर भीगा रहे प्रेम काहावै सोय।। दोनो चीजे मुश्किल है इतनी मुश्किल की असंभव जैसे, मग़र जिन जिन को पुरा सतगुरु, वक्त का हाक़िम मिला ऊन ऊन लोगों ने लिशाले कायम कर दी […]
View Postमैं तो आपमे गुरु का दीवाना। दुनिया बदले तो बदले ठिकाना।। मैने उनको ही सब कुछ हैं माना। चाहे माने ना माने जमाना।। गुरु चेले का रिश्ता हैं ऐसा। सती नारी का पिय से हो जैसा।। एक नजर भी ना डाले किसी पे। वेद शाश्त्रो ने ऐसा बखाना।। मान अपमान की क्या पड़ी हैं। गुरु […]
View Postतेरी महिमा मैं क्या जानू। तेरा किया कैसे पहचानूं।। इतना नही हैं ज्ञान। मैं नादान मैं अनजान।। कभी भरोषा तुझपे आये। कभी डोल मेरा मन जाये।। रहे ना एक समान। मैं नादान मैं अनजान।। कब तक धीर बंधाऊ खुद को। रास न कोई आये मुझको।। सारा जगत वीरान। मैं नादान मैं अनजान।। बेबस हाथ कुछ […]
View Postगुरुवर दया के धाम मेरा आपको नमन। मिलती रहे सदा ही मुझे आपकी शरण।। गुरुवर दया के धाम मेरा आपको नमन। जंजाल जग का सारा मुझे घेर के खड़ा। सब आश छोड़ कर के तेरे व्दार आ पड़ा।। आये समझ न कौन सा अब मैं करू जतन। विषयों में भाग भाग मेरे जिंदगी के दिन। […]
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