परम पूज्य संत बाबा जय गुरु देव जी महाराज

!! जय गुरुदेव नाम प्रभु का !! बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है

सत्संग जल महात्मा कहते हैं कि:- सत्संग जल जो कोई पावे, मैलाई सब कट कट जावे। मानव शरीर इस सृष्टि की श्रेष्ठ रचना है। इस पृथ्वी पर चैरासी लाख योनियों में से केवल मनुष्य ही परमात्मा से मिलने की योग्यता और शक्ति रखता है। पशुओं, पक्षियों, पेड़-पौधों या और दूसरे निचले स्तर के प्राणियों को […]

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यह सृष्टि काल भगवान की है और तुम्हारे कर्मों के अनुसार तुम्हें फैसला सुनाया जाऐगा। तुम अच्छा करो या बुरा करो उसी के अनुसार फैसला हागा। काल भगवान में दया नहीं है। जो कुछ भी तुम करते हो उनके कर्मचारी बराबर नोट करते रहते हैं। साथ ही तुम्हारे क्रिया कलापों की फिल्म बनती रहती है। […]

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सत्संग वचन जो साधक हैं साधना करते हैं और उनके ऊपर जब गुरू की दया हो जाती है तब सिमटाव होने लगता है। आत्मा दोनों आँखों के पीछे बैठी हुई है और उसका प्रकाश पैरों तक फैला हुआ है और भजन-ध्यान के समय प्रकाश ऊपर की तरफ सिमटने लगता है। ऐसा अनुभव साधक को होने […]

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सत्संग वचन सत्संगियों को अपना जीवन ऐसा बनाना चाहिऐ जैसे कछुआ। जब जरूरत पड़ी संसार के काम के लिए फैले फिर भीतर चले आए। उस प्रभु की याद में लग जाओ और घर परिवार में प्रेम से रहो। यदि तुमने अपना जीवन ऐसा बना लिया तो क्या साधन क्या भजन। तुम्हारा काम बना हुआ है। […]

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सत्संग वचन आज कलयुग का समय है। कलयुग कहते हैं ‘कर-युग’। महापुरूषों ने भव सागर से पार होने के लिए कलयुग को बहुत आसान कर दिया। त्रेता की क्रिया आप नहीं कर सकते हो, द्वापर की क्रिया भी आप नहीं कर सकते हो क्योंकि आपके कर्म खराब हो गऐ, खान-पान बिगड़ गया, आचार-विचार बदल गऐ। […]

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सत्संग वचन देखो प्रेमियों तुम यहाँ बैठ गऐ तो बुद्धि और विवेक से काम लो। शरीर यहाँ बैठा है और मन कहीं और भाग रहा है इससे कुछ होने वाला नहीं है। तुम मन को, चित्त को रोककर अपनी बैठक बना लो। चार अफीमची एक जगह बैठ जाते हैं तो उन्हें दूसरी बात याद नहीं […]

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सत्संग वचन वह वस्तु जो बिना किसी चेस्टा के स्वयं आती है वह हमारे भाग्यानुसार है। जो साधक हैं जिनका ध्यान एकाग्र हो चुका है और अन्तर के मण्डलों में आते-जाते हैं वे अपना भाग्य आसानी से जान सकते हैं। मन जब तक जीवात्मा का साथ नहीं देगा तब तक हम ध्यान-भजन नहीं कर सकते। […]

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सत्संग वचन अनामी पुरूष सबके कर्ता-धर्ता हैं। इन्होंने अपनी इच्छा से, अपनी मौज से अगम लोक की रचना की और अगम पुरूष को स्थापित किया। फिर अलख लोक की रचना की और अलख पुरूष को स्थापित किया। ये ही वो मालिक हैं जिन्होंने सतलोक की रचना की और सतपुरूष को स्थापित किया। अनामी पुरूष ने […]

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सत्संग वचन इस शरीर में सबसे बड़ा चोर, सबसे बड़ा दुश्मन मन है। इसको जीतने की युक्ति किसी के पास नहीं। बाहरी किसी भी क्रिया जप, तप, पूजा, पाठ से तीरथ-व्रत करने से नदियों में डुबकी लगाने से यह वश में नहीं होता। यह चोर और दुश्मन किसका है ? सुरत का। बाहरी क्रियाओं से […]

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सत्संग वचन जब मन दुनियां से उचाट हो जाऐ, चीजों में अभाव आ जाऐ तो समझना चाहिऐ कि गुरू की दया हो रही है और होने वाली है तो तुरन्त भजन पर बैठ जाना चाहिऐ। दया के उस ज्वार भाटे में मन आ गया तो खिंचाव हो जाऐगा। जिन लोगों ने प्रभु को प्राप्त किया […]

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सत्संग वचन इस शरीर में सबसे बड़ा चोर, सबसे बड़ा दुश्मन मन है। इसको जीतने की, वश में करने की युक्ति किसी के पास नहीं है। बाहरी क्रियाओं से पूजा-पाठ करने से, तीरथ-व्रत करने से यह वश में नहीं होता है। यह चोर और दुश्मन किसका है? सुरत का यह बाहरी क्रियाओं से जीता नहीं […]

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सत्संग वचन कर्मों का विधान बड़ा जटिल है इसे बुद्धि के द्वारा नहीं समझा जा सकता। लड़का हो, भाई हो या पत्नी हो सबको अपने अपने कर्म भुगतने पड़ते हैं। प्रत्येक आत्मा को अपने किऐ का हिसाब देना पड़ता है। कोई भी दूसरे के कर्मों का भार अपने ऊपर नहीं ले सकता। यदि आपके लड़के […]

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