मुक्ति दिवस से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य
26 जून 1975
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के कृष्णानगर-मथुरा स्थित आश्रम (चिरोली संत आश्रम) में एक पुलिस अधिकारी अपनी टीम के साथ आए। बाबाजी अपनी कार में जिलाधिकारी के बंगले पर गए। वहां वारंट काटा गया और फिर बाबाजी को आगरा जेल में भेज दिया गया। पूछने पर कोई कारण नहीं बताया गया।
9 अक्टूबर 1976
बाबाजी को आगरा सैन्ट्रल जेल से बरेली सैन्ट्रल जेल में ट्रांस्फर कर दिया गया।
21 अक्टूबर 1976
बाबाजी ने कहा कि-‘‘21 अक्टूबर को मेरे पैरों में बेड़ी डाल दी गई। जेल अधिकारियों ने मुझे बताया कि उन्हें मुझसे कोई शिकायत नहीं है पर ऊपर से मुख्यमंत्री का आदेश आया है इसलिए ऐसा किया जा रहा है।’’
10 दिसम्बर 1976
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज के प्रेमियों ने सत्याग्रह आरम्भ किया और एक दिन में हजारों स्त्री-पुरूष, बच्चे जेलों में चले गए। उन्होंने जेलों को भजनघर बना लिया।
31 दिसम्बर 1976
रात में रेडियो प्रसारण में कहा गया कि जयगुरूदेव धर्मप्रचारक संघ पर उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्र की सहमति से प्रतिबंध लगा दिया है।
18 जनवरी 1977
लोकसभा भंग होने की घोषणा हो गई।
21 जनवरी 1977
जेल में राजनीतिक दलों में चेतना की लहर उठी। बाबाजी ने जेल में बन्दी राजनीतिज्ञों से कहा कि ‘सब दल एक हो जायें तभी कुछ हो सकता है।’’ इसके साथ ही जेल में जनता पार्टी का अभ्युदय हो गया। बाबाजी ने जनता पार्टी को अपना आशीर्वाद दिया और समर्थन दिया। यह भी कहा कि ‘जनता पार्टी का स्वप्न मैं बहुत पहले से देख रहा था, वो अब सामने आई है। देखिए सरकार ने (बेडि़यों की तरफ इशारा करके) यह तोहफा दे रखा है। इसका मैं स्वागत करता हूँ। मेरा आशीर्वाद जनता पार्टी के साथ है। मेरे प्रेमी आपका पूरा सहयोग करेंगे और आपको एक नया पैसा भी खर्च करने की जरूरत नहीं है।’’
22 जनवरी 1977
बाबाजी को बरेली जेल में पुनः तनहाई दे दी गई।
26 जनवरी 1977 (गणतंत्र दिवस)
बाबा जयगुरूदेव जी के शब्दों में-‘‘26 जनवरी की रात को मुझे बरेली जेल से निकालकर मोटर गाड़ी में दिल्ली लाया गया। वहां मुझे पांव में बेडि़यों सहित एक हवाई जहाज में बैठा दिया गया। मुझे यह भी नहीं बताया गया कि मुझे कहां ले जाया जा रहा है। बाद में मुझे पता चला कि मुझे बंगलौर जेल में लाया गया है। वहां से फिर हवाई जहाज में 22 फरवरी 1977 को दिल्ली लाया गया। वहां से आने के बाद 24 फरवरी 1977 को मेरे पांवों की बेड़ी काट दी गई। इस तरह से 124 दिन मेरे पांव में डण्डा-बेड़ी लगी रही। मुझे बी क्लास वार्ड में दंडित कैदियों के साथ बैरक में रखा गया।
28 फरवरी 1977
तिहाड़ जेल दिल्ली में एक उच्च अधिकारी बाबाजी से मिलने आए और कहा कि आप चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर दिजिए। हम आपको कुछ घण्टों के अन्दर ही छोड़ देंगे, आपके आश्रम और सामानों को वापस कर देंगे। दो करोड़ रूपया ले लीजिए आदि-आदि। उन्होंने बाबाजी से कांग्रेस द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट पर दस्तखत करने को कहा। बाबाजी ने ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। अधिकारी ने बाबाजी से कहा कि आपको पता नहीं है कि प्रधानमंत्री आपको तीन साल तक और जेल में रखेंगी।
महात्माओं को कभी ललकारना नहीं चाहिए। बाबाजी यह सुनकर नाराज हो गए और अपनी छड़ी जमीन पर फैंकते हुए तेज आवाज में बोले-‘‘क्या कहा आपने ? आप होश में हैं कि किससे बात कर रहे हैं ? अब कांग्रेस खत्म। दूसरी बात यह है कि 24 मार्च तक बाहर आ जाऊँगा। तीसरी बात यह कि 28 मार्च तक इमरजैन्सी लगी रही तो अन्दर वाले सब बाहर होंगे और बाहर वाले सब अन्दर होंगे। इतना कहकर बाबाजी कमरे के बाहर चले गए।
23 मार्च 1977
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज को दिल्ली के तिहाड़ जेल से दिन के ढाई बजे रिहा कर दिया गया। देश-विदेश में बाबाजी के करोड़ों अनुयायी 23 मार्च को प्रतिवर्ष अपने-अपने घरों पर जयगुरूदेव झण्डा फहराकर ‘‘मुक्तिदिवस’’ मनाते हैं, और प्रार्थना करते हैं।